– रिपोर्ट : सलिल पांडेय
मीरजापुर : पवनपुत्र हनुमान ज्ञान-विज्ञान के साथ सेवा-समर्पण-त्याग के प्रतिमूर्ति हैं। हनुमानजी की निष्ठा और विनम्रता को देखते हुए भगवान श्रीराम ने उन्हें खुद से ज्यादा महान बताते हुए कहा कि हनुमान यदि तुम मुझे वीर कहते हो तो मेरी नजर में तुम महाबीर हो। उक्त उद्गार हिंदी गौरव डॉ भवदेव पांडेय शोध संस्थान में “हनुमान और विज्ञान’ विषयक संगोष्ठी में वक्ताओं ने व्यक्त किए।
वक्ताओं ने कहा कि हनुमान जी के सामने कई चुनौतियां आईं जिसका उन्होंने अत्यंत वैज्ञानिक तरीके से हल निकाला। सीता के अन्वेषण के समय विकराल समुद्रोलंघन में उन्होंने आधुनिक विज्ञान से आगे का प्रयोग किया। समुद्र में सिंहिका नामक राक्षसी के अंतरिक्ष मे उड़ने वाली तरंगों को खींचने की सामर्थ्य को उन्होंने डिलीट कर नया साफ्टवेयर लोड किया तब वे लंका गए। अशांत और आतंकवाद के पर्याय लंका के प्रोग्रामिंग को तहस-नहस एवं जलाकर उन्होंने शांति रूपी सीता को श्रीराम से मिलाने में माडर्न साइंस से भी आगे का उदाहरण पेश किया है। घायल लक्ष्मण को दवा से नहीं बल्कि हर्बल औषधीय पदार्थ संजीवनी वटी से पुनर्जीवित किया। सच कहा जाय तो हनुमान पवन पुत्र होने के नाते वायु में प्रवाहित विविध गैस में आक्सीजन की तरह है। वही प्राणवायु है जो ‘अस कहीं श्रीपति कण्ठ लगावें’ से सिद्ध होता है।
तिवराने टोला स्थित संस्थान कार्यालय में आयोजित इस वैचारिक गोष्ठी की अध्यक्षता संस्थान के संयोजक सलिल पांडेय ने की जबकि मुख्य अतिथि बाणसागर परियोजना के सेवानिवृत्त सहायक अभियन्ता वसन्त बिहारी पांडेय रहे। वक्ताओं में अंकित हिंदुस्तानी, बादल मोदनवाल, रूपा श्रीवास्तव, आयुषी अग्रवाल, छाया सिंह, पूजा श्रीवास्तव, वृजेश जायसवाल, विभाव पांडेय, विनय यादव आदि थे। कार्यक्रम का संचालन साकेत पांडेय ने किया।